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समानता का अर्थ, समानता की परिभाषा, समानता के प्रकार samanta ki paribhasha

समानता का अर्थ, समानता की परिभाषा, समानता के प्रकार samanta ki paribhasha

 


समानता का अर्थ, समानता की परिभाषा, समानता के प्रकार samanta ki paribhasha


"Knowledge with Ishwar"


समानता का अर्थः- 


समानता का अर्थ यह है कि राज्य के द्वारा सभी को समान अवसर प्रदान किये गये हैं। राज्य की दृष्टि मे सभी व्यक्ति समान है। राज्य किसी भी व्यक्ति को विशेष दर्जा नहीं देगा। संविधान के अनुसार विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया गया है। दूसरे शब्दों में समाज में प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के विकास का अवसर मिलना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति के विकास हेतु जिन सुख सुविधाओ की जरूरत पड़ती है। वे राज्य के द्वारा सभी व्यक्तियों समान रूप से बिना किसी भेदभाव के निष्पक्ष रूप से प्रदान की जाये। इसके लिए आवश्यक है कि समाज में किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, व्यक्ति को विशेष न माना जाये। समाज के लिए प्रत्येक व्यक्ति का समान महत्व है। सभी व्यक्ति को समान अधिकार समान स्वतंत्रता एवं समान न्याय मिलना चाहिए यही समानता है।


लास्की के अनुसार समानता का अर्थ यह है कि समानता का सर्वप्रथम अर्थ यह है कि विशेषाधिकारों की समाप्ति की जायें । दूसरा मरी इच्छा को दूसरे की इच्छा के समान समझा जाये। एवं तीसरा यह कि मैं राज्य के किसी भी पद पर पदासिन हो सकता हॅु जिसके लोग मुझे चुनते हैं।


समानता की परिभाषाः-


1. लास्की के शब्दों में- ’’निःसंदेह, यह समतलींकरण की एक प्रक्रिया है। इसका अर्थ है कि समाज में किसी व्यक्ति का स्थान ऐसा न हो जाय कि वह अपने पड़ोसी से इस कदर हो जाय कि पड़ोसी को अपनी नागरिकता की ही अवहेलना लगने लगें’’


2. डी. डी. रैफेल के अनुसार- ’’समानता के अधिकार का आश्य है, मूूलभूत मानव आवश्यताओं की समान संतुष्टि। इसमेें मनुष्य की क्षमताओं के विकास की आवश्यकता और उपयोग सम्मिलित है।’’


3. जे.ए.कॉरी ने लिखा है कि- ’’समानता का आदर्श इस पर बल देता है कि मनुष्य राजनीतिक दृष्टि से समान हैं कि सभी नागरिक राजनीतिक  जीवन में भाग लेने के लिये अधिकृत हैं.........।इसमें इस बात पर बल दिया गया है कि सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और राज्य द्वारा जो भी अधिकार प्रदान किये जायेंगें अथवा जो भी कर्तव्य आरोपित किये जायेंगें, वे सबके संदर्भ में समान होंगें।’’


 


4. अर्नेस्ट बार्कर के अनुसार- ’’समानता के सिद्धांत का आश्य यह है कि अधिकारों के रूप में मुझे जो स्थितियॉ उपलब्ध कराई जाती है, वे अन्य लोगों को भी वैसे ही उपलब्ध कराई जायें और यह कि जो अधिकार अन्य लोगों को दिये जायें वे मुझे भी मिलने चाहिए।’’


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समानता के प्रकारः-


1. नागरिक समानताः- नागरिक समानता का अर्थ यह है कि राज्य की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान है। राज्य के द्वारा किसी भी व्यक्ति से जाति धर्म संप्रदाय रंग रूप लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। सभी नागरिको को राज्य के द्वारा समान सुविधांए, स्वतंत्रतांए और अधिकार प्राप्त होने चाहिए। कानुन में भी सभी को समान मानते हुए न्याय के समान अवसर मिलने चाहिए।


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2. सामाजिक समानताः- राज्य के द्वारा सभी को सामाजिक समानता प्राप्त है। संविधान के द्वारा विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया हैं। राज्य किसी भी व्यक्ति को विशेष नहीं मानेेगा। सामाजिक आधार पर किसी भी व्यक्ति को बडा या छोटा न मानते हुए सभी को समान माना जाये।


3. राजनीतिक समानताः- नागरिक समानता के अंतर्गत सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के राजनीतिक कार्यों में भाग लेने का अधिकार दिया जाता हैै। ब्राइस के अनुसार- ’’राजनीतिक समानता के अनुसार सभी नागरिकों को सरकार  के कार्यों  में भाग लेने का और सरकार के सभी पदों पहुॅचने का समान अधिकार होना चाहिए।’’ राज्य  के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के चुनाव लडनें, राजनीतिक दल बनानें, संगठन बनाने, अपने दल का प्रचार प्रसार करने, मतदान करनें तथा सार्वजनिक पदो को पाने का अधिकारी है।


4. आर्थिक समानताः- राज्य के सभी नागरिको को बिना किसी भेदभाव के आर्थीक समानता प्रदान की गयी है। राज्य के द्वारा सभी नागरिको की न्युनतम आवश्यकताओं की पूर्ति की जायेगी । राज्य के द्वारा आर्थिक विषमता  का अंत करने का भी प्रयास किया जाता है। राज्य के द्वारा अमीर गरीब की विषमता को खत्म करनें के लिए अमीर व्यक्तियो पर कर लगाकर उस राशि को लोक कल्याणकारी योजनाओ में लगाया जाता हैै।


5. अवसर की समानताः- अवसर की समानता का अर्थ यह है कि सभी को आगे बढने, ऊपर उठनें तथा अपने व्यक्तित्व का विकास करने का पूूर्ण अधिकार है।इस हेतु सभी व्यक्तियो को समान रूप से प्रशिक्षण दिया जाये। जिससे वे अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके।


6. धार्मिक समानताः- राज्य के द्वारा किसी भी धर्म विशेष नहीं माना जायेगा। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। अर्थात राज्य के अनुसार सभी समान है किसी भी धर्म के प्रति कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा। 


7. प्राकृतिक समानताः- प्रकृतिक दृष्टि से सभी व्यक्ति समान है। सभी को अपना जीवन समान रूप से जीने का पूर्ण अधिकार है। अतः राज्य के द्वारा सभी नागरिकों को समान रूप से जीवन जीनें की समानता प्रदान की गई है।


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