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लोक सभा के कार्य एवं शक्तियां। lok sabha ke karya

लोकसभा के कार्य एवं शक्तियां



लोक सभा के कार्य एवं शक्तियां। lok sabha ke karya


"knowledge with ishwar"


लोकसभा का गठन


लोकसभा का गठन अप्रैल 1952 में हूआ तथा पहली बैठक 13 मई 1954 को हुई। लोकसभा का गठन अनुच्छेद 81 के द्वारा हुआ है। 


लोकसभा को निम्नसदन या प्रथम सदन के नाम से भी जाना जाता है। यह दोनों सदनों में शक्तिशाली सदन होता हैं। इसे राज्यसभा से अधिक शक्तियॉ प्राप्त होती है। यह अस्थायी सदन होता है। अतः लोकसभा को भंग भी किया जा सकता हैं। वर्तमान में लोकसभा के सदस्यों की संख्या 545 है। लोकसभा में अधिकतम सदस्य संख्या 552 तक होती है। अनुच्छेद 331 के अंतर्गत एंग्लों इंडियन समुदाय के दो सदस्यों का मनोनयन राष्ट्रपति के द्वारा किया जाता है। लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन जनता के द्वारा प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा किया जाता है। लोकसभा के सदस्यों हेतु कम से कम आयु 25 वर्ष निर्धारित है।


सदस्य व पदाधिकारीः-


लोकसभा के पदाधिकारी हेतु लोकसभा के सदस्य अपने में से ही बहुमत के द्वारा किसी सदस्य को चुनती है। इस प्रकार बहुमत द्वारा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का  चुनाव किया जाता है। अध्यक्ष व उपाध्यक्ष लोकसभा के प्रमुख पदाधिकारी होते है। इनका कार्यकाल 5 वर्ष होता है किंतु इससे पहले भी यह पदाधिकारी अपना त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकतें हैं।



लोकसभा का अधिवेशनः- 


अध्यक्ष लोकसभा का अधिवेशन बुलाने उसे स्थगित करनें तथा भाषण देने का अधिकार प्राप्त व्यक्ति होता है। लोकसभा में एक वर्ष में कम से कम दो अधिवेशन होना आवश्यक होता हैं। तथा लोकसभा की बैठकों के मध्य की अवधि 6 माह से अधिक नहीं होनी चाहिए।


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लोकसभा सदस्य हेतु योग्यतांएः-


1. वह भारत का नागरिक हो।

2. उसकी उम्र 25 वर्ष या इससे अधिक हो।

3. वह भारत के किसी भी न्यायालय द्वारा पागल या दिवालिया घोषित न किया गया हो।

4. वह भारत सरकार द्वारा निर्धारित किसी लाभ के पद या सेवा से लाभन्वित न हो रहा हो।

5. वह संसद द्वारा निर्धारित की गई अन्य योग्यतांए रखता हो।

6. वह चुनावों में भ्रष्टाचार का दोषी न हो तथा उस पर देशद्रोह का आरोप न हो तथा ऐसे ही किसी अपराध में दो वर्ष या इससे अधिक अवधि तक कारावास में न रहा हो साथ ही किसी अन्य देश की नागरिकता न प्राप्त कर ली हो। लोकसभा का सदस्य बनने का अधिकारी होगा।


लोक सभा के गठन कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए। lok sabha ke karya


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लोकसभा के अध्यक्ष के कार्य व अधिकारः- 


लोकसभा के अध्यक्ष व अधिकार  निम्नलिखित हैः-


1. प्रश्नो की स्वीकृति देनाः- 


लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा सदन के सदस्यों द्वारा पुछे जाने वाले प्रश्नों को स्वीकृत किया जाता है। साथ ही वह प्रश्नों की नियमितता तथा नियम के विरूद्ध घोषित कर सकता हैं।


2. धन विधेयक की प्रकृति का निर्धारणः- 


लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा ही धन विधेयक की प्रकृति का निर्धारण किया जाता हैं कि वह धन विधेयक है या नही।


3. राष्ट्रपति व लोकसभा के मध्य की कड़ीः- 


लोकसभा का अध्यक्ष ही राष्ट्रपति व लोकसभा के मध्य की कड़ी होता है। राष्ट्रपति व लोकसभा के मध्य होने वाला पत्र व्यवहार अध्यक्ष के माध्यम से ही किया जाता हैं। साथ ही राष्ट्रपति को सदन के कार्यों से रूबरू करवाने का कार्य अध्यक्ष के द्वारा ही किया जाता हैं।


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4. मतदान करवाना व निर्णायक मत देनाः-


अध्यक्ष के द्वारा विभिन्न विधेयकों व प्रस्तावो पर मतदान करवाया जाता है तथा मतों की समानता होने पर तथा किसी भी पक्ष मंें परिणाम न होने पर निर्णायक मत देता है।


5. शांति व अनुशासन बनाए रखनाः- 


लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा ही सदन में शांति व अनुशासन का पालन करवाया जाता है। विवाद की स्थिति मे सदन की बैठक को भंग या स्थगित कर सकता है।


6. भाषण की अनुमति व समय का निर्धारणः- 


लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा सदस्यों को बहस करनें की अनुमति दी जाती है। साथ ही बहस हेतु क्रम व समय  का निर्धारण भी अध्यक्ष के द्वारा ही किया जाता है।


7. बहस का निर्धारणः- 


लोकसभा अध्यक्ष सदन में विचाराधिन विधेयक पर हो रही बहस को रूकवा सकता हैं।


लोक सभा के गठन कार्य एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए। lok sabha ke karya


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लोकसभा के कार्य व शक्तियॉः-


1. धन संबंधी कार्यः- 


लोकसभा का राष्ट्रीय वित्त पर पूर्ण नियंत्रण रहता है। धन संबंधी विधेयक केवल लोकसभा में प्रस्तुत किये जा सकते हैं। धन विधेयक लोकसभा में पारित होने के पश्चात मात्र सिफारिश हेतु राज्यसभा में भेजा जाता हैं। राज्यसभा धन विधेयक पर कोई निर्णय नहीं ले सकती हैं। राज्यसभा को 14 दिनों के भीतर धन विधेयक को लोकसभा को लोटाना होता है।


2. चुनाव संबंधी कार्यः- 


लोकसभा, राज्यसभा व अन्य विधानमंडलों के सदस्यों  के द्वारा राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया जाता है। इस प्रकार लोकसभा राष्ट्रपति के निर्वाचन में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं।


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3. महभियोग प्रक्रियाः- 


राष्ट्रपति के द्वारा संविधान के नियमों का उल्लंघन करनें पर या ऐसा प्रतित होने पर लोकसभा या राज्यसभा दोनों में से कही भी राष्ट्रपति के विरूद्ध महाभियोग प्रक्रिया का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है परंतु इसके लिए आवश्यक है कि प्रस्ताव की सूचना 14 दिन पूर्व सदन को दे दी गई हो। एक सदन मे प्रस्ताव पारित होने के पश्चात वह दूसरे सदन को भेज दिया जाता हैं। वहॉ भी महाभियोग प्रस्ताव पारित होने पर राष्ट्रपति को अपने पद का त्याग करना होता हैं। महाभियोग प्रस्ताव को प्रस्तुत करनें के संबंध में दोनों सदनों की शक्तियॉ समान हैं।


4. संविधान में संशोधनः-


संविधान में होने वाले किसी भी प्रकार के संशोधन में दोनों सदनों की स्वीकृति होना आवश्यक होता है। संविधान में किये जाने वाले किसी भी प्रकार के संशोधन से संबंधी विधेयक किसी भी सदन में पूनः स्थापित किये जा सकते है।


5. कार्यपालिका पर नियंत्रण व कार्यों का निरिक्षणः- 


मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामुहिक रूप से उत्तरदायी होती है। लोकसभा को मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण तथा उनकें द्वारा किये जा रहे कार्यों का निरिक्षण करनें का अधिकार प्राप्त होता है। लोक सभा मंत्रिपरिषद पर कार्यों की सूचना मॉगकर तथा उनके कार्यों की आलोचना कर उन पर नियंत्रण रख सकती है। यहां लोकसभा के द्वारा मंत्रिपरिषद के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर मंत्रिपरिषद को सामुहिक रूप से अपने पद का त्याग करना पड़ता है।


6. व्यवथापिका संबंधी कार्यः- 

लोकसभा, राज्यसभा व राष्ट्रपति के द्वारा ही व्यवस्थापिका संबंधी कार्यों का क्रियान्वन किया जाता हैं। इसके अतिरिक्त सभी विधेयक लोकसभा अथवा राज्यसभा किसी में भी प्रस्तुत किये जा सकतें हैं। मतभेद की स्थिति में दोनों सदनों की सम्मिलित बैठक बुलाकर राष्ट्रपति के द्वारा विवादों को सुलझानें का प्रयास किया जाता है।


7. अन्य कार्य व शक्तियॉः- 


राष्ट्रपति के द्वारा सर्वक्षमा की स्वीकृति लोकसभा के द्वारा स्वीकृत किया जाना आवश्यक हैं। साथ ही राष्ट्रपति के द्वारा विपरित परिस्थितयों के मद्देनजर लागु की जाने वाली आपात स्थिति की उदघोषणा की स्वीकृति लोकसभा द्वारा की जानी आवश्यक है। एक माह के भीतर यदि लोकसभा के द्वारा आपात स्थिति की उद्घोषणा को स्वीकृत नहीं किया जाता है तो आपात उद्घोषणा निरस्त मानी जायेगी।

तो दोस्तों उम्मीद है आपको आज की पोस्ट जरूर पसंद आई होगी।


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