राष्ट्र का अर्थ और परिभाषा rastra ka arth or paribhasha
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राष्ट्र का अर्थः- ’’राष्ट्र’’ शब्द अंग्रेजी भाषा के नेशन (Nation) का हिंदी रूपांतरण है। नेशन शब्द लेटिन भाषा के नेटस ( Natus) से बना है, जिसका अर्थ लेटिन भाषा में जाति या जन्म से होता है। लेकिन इसका आश्य यह नही है कि ’’राष्ट्र’’ शब्द जाति का पर्याय है। ’’राष्ट्र’’ का आशय उस मानव समूह से लिया जाता है जिसमें कि एकता हो एवं यदि वे परतंत्र हो तो उन्में स्वतंत्र होने की भावना जागृत होती हो।
दूसरे शब्दों में-’’ राष्ट्र जनसमूह में विद्यमान एकता के उस विशेष भाव या भावना का नाम है जो इस जनसमुदाय को साथ रहने तथा किसी भी बाहरी नियंत्रण का प्रतिरोध करने के लिए प्रेरित करती है।’’
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राष्ट्र की परिभाषाः-
1. बर्गेस के शब्दों में- ’’राष्ट्र नस्ल संबंधी एकता युक्त वह जनता है जो भौगोलिक एकता के किसी भूखण्ड पर निवास करती हो।’’
2. जे. एस. मिल के अनुसार, ’’राष्ट्र मनुष्य जाति का एक ऐसा हिस्सा है जो अन्य लोगों की तुलना में एक दूसरे से समान सहानूभूतियों के धागे से जुडा हो और जिनमें एक ही समान सरकार के अधिन रहने की प्रबल इच्छा हो।’’
3. प्रो. गार्नर ने लिखा है कि, ’’राष्ट्र सांस्कृतिक रूप से संगठित और एकरूपीय जन समुदाय है, जिसे अपने आध्यात्मिक जीवन की एकता और अभिव्यक्ति का ज्ञान है और जो उसे बनाये रखना चाहता है।’’
4. ब्राइस महोदय के अनुसार-’’राष्ट्र एक राष्ट्रीयता है जिसनें अपना संगठन एक राजनीतिक संस्था के रूप में कर लिया है और जो स्वाधीन हो अथवा स्वाधीनता की इच्छुक हो।’’
5, रैम्जेम्योर के शब्दों में- ’’राष्ट्र एक ऐसा समूह होता है जिसके सदस्य स्वाभाविक रूप से परस्पर कई प्रकार की समानताओं से बॅधें होते हैं। ये समानतांए इतनी सुदृढ़ तथा वास्तविक होती है कि वे प्रसन्नता के साथ साथ रह सकते हैं, और यदि उन्हें अलग-अलग कर दिया जाये तो वे असंतुष्ट रहेंगें। साथ ही ये ऐसे व्यक्तियों के अधिन रहना नहीं चाहते, जो कि उस जनसमूह से उन समानताओं द्वारा न बॅंधे हुए हो।’’
6. ब्लंटशली के अनुसार- ’’राष्ट्र ऐसे मनुष्यों का समूह है, जो विशेष तौर पर भाषा और रिती रिवाजों द्वारा एक ऐसी सांझी सभ्यता में बंधे हुए हो जो उनमें एकता की भावना और विदेशीयों से भिन्नता की भावना पैदा करता है।’’
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