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राज्य के कार्य-ऐच्छिक एंव अनिवार्य कार्यः-राज्य के अनिवार्य और आवश्यक (ऐच्छिक) कार्य

राज्य के कार्य-ऐच्छिक एंव अनिवार्य  कार्यः-राज्य के अनिवार्य और आवश्यक (ऐच्छिक) कार्य


 राज्य के कार्य-ऐच्छिक एंव अनिवार्य  कार्यः-rajya ke karya acchik or anivarya kary


"Knowledge with Ishwar"


राज्य के कार्य:-


राज्य मानव के लिए एक अनिवार्य संस्था होती है। राज्य के द्वारा नागरिकों के कल्याण के लिए कई प्रकार के कार्य किये जातें हैं। कई कार्य तो ऐसे होते हैं जो राज्य के द्वारा उन्हें करना आवश्यक होता है, राज्य के द्वारा इन कार्यों को करने के बदले ही नागरिक राज्य की आज्ञा का पालन करने के लिए सहमत होते हैं। इन कार्यों को ही राज्य के अनिवार्य कार्य करतें हैं। इसके अतिरिक्त राज्य के द्वारा अन्य कार्य भी किये जातें हैं जो जन कल्याण से संबंधित है। इन कार्यों को करना राज्य के पास  उपलब्ध संसाधनों व राज्य की इच्छा पर निर्भर करता है। ये राज्य के ऐच्छिक कार्य होते हैं।


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राज्य के अनिवार्य कार्यः-


राज्य के प्रमुख एवं अनिवार्य कार्य निम्नलिखित है।


1. कानून और व्यवस्था को बनाए रखनाः- राज्य का प्रमुख कार्य होता है कानून और व्यवस्था को बनाए रखना। नागरिक को शांति, व्यवस्थित और अराजकताविहीन जीवन के लिए राज्य पर निर्भर होता है। राज्य का यह अनिवार्य कार्य है कि वह कानून व्यवस्था को बनाए रखें एवं राज्य की आंतंिरक संप्रभूता को बनाए रखने के लिए सैन्य एंव अर्ध सैन्य बलों का प्रयोग करे।


2. बाह्य आक्रमणों से रक्षाः- इसे राज्य का प्रतिरक्षात्मक कार्य भी कहा जाता है। राज्य का यह अनिवार्य कार्य है कि वह अपनी सिमाओं की बाह्य आक्रमणों से 

रक्षा करे। नागरिकों के भयरहित जीवन यापन के लिए आवश्यक है कि राज्य बाहय आक्रमणो से रक्षा हेतु समुचित सैन्य बलों का प्रबंध करें। जिससे सुव्यवस्थित शांति व्यवस्था कायम हो सके।


3. एकता और अखण्डता  की रक्षाः- राज्य का यह अनिवार्य कर्तव्य है कि वह राज्य की एकता और अखण्डता को अक्षुण्ण बनाये रखें। इसके लिए आवश्यक है कि नागरिकों के असंतोष का निराकरण शिघ्रता से किया जाये एवं राज्य द्वारा बिना किसी भेदभाव के समान रूप से जन कल्याण किया जाना चाहिए। यदि राज्य में कोई विघटनकारी तत्व  हैं जिनसें राज्य की अखण्डता और एकता को खतरा है, कठोरता से उन विघटनकारी तत्वों का दमन किया जाये। इसके लिए आवश्यक है कि राज्य अपने नागरिकों को एकता के सुत्र में पिरो कर रखे।


4. न्याय का प्रशासनः- राज्य का अनिवार्य कार्य यह है कि  वह सुव्यवस्थित न्याय व्यवस्था को अपनायें। प्रत्येक नागरिक के जीवन की रक्षा करना राज्य का प्रमुख उत्तरदायित्व है। राज्य द्वारा ऐसी न्याय व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए। जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता, संपत्ति व जीवन की रक्षा की जा सके एवं इन पर आज्ञात करने वालों को कठोर दण्ड दिया जा सके। जिससे नागरिक भयरहित होकर राज्य में सुखमय जीवनयापन कर सके। इसके अतिरिक्त राज्य को ऐसी न्याय व्यवस्था को अपनाना चाहिए जिंससे की व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा की जा सके। एवं मुल अधिकारों के हनन होने पर व्यक्ति न्याय हेतु सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सके।


5. यातायात व संचार साधनों का प्रबंध करनाः- राज्य का एक अनिवार्य कार्य यह भी है कि वह नागरिकों की सुविधा के लिए समुचित यातायात और संचार व्यवस्था का प्रबंध करें। राज्य का क्षेत्र विस्तृत होता है। जिसमें नागरिकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमण करनें में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। अतः राज्य यातायात के साधनों की व्यवस्था, संचार व्यवस्था जैसे- टेलीफोन, डाक, टी.वी. तार आदि की व्यवस्था कर लोगों को सुविधांए प्रदान कर सकता है।


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6. वैदेशिक संबंधों का संचालनः- आज के युग में कोई भी राज्य पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर  नहीं है।वह किसी न किसी रूप में अन्य देशों पर निर्भर रहता है। राज्य कई देशों के साथ आर्थीक व वैदेशिक संबंध स्थापित करता है। राज्य की प्रगति के लिए आवश्यक है कि वह अन्य देशों के साथ मधुर संबंध स्थापित करें जिससे राज्य का सर्वागींण विकास हो सके। उसी के साथ राज्य को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बिना किसी पक्षपात के स्वविवेक से निर्णय लेना चाहिए। साथ ही विश्वबंधुत्व की भावना का विकास करना चाहिए।


7. आर्थिक प्रबंध करनाः-  शांति, सुव्यवस्था, न्याय तथा जनकल्याण के लिए राज्यों को धन की आवश्यकता होती है। राज्य नागरिकों पर विभिन्न प्रकार के करों को संग्रहित कर धन की पूर्ति कर सकता है। राज्य नागरिकोंके कल्याण के लिए विभिन्न योजनांए व कार्यक्रम क्रियान्वित करते रहते है। राज्य का यह अनिवार्य कार्य है कि वे नागरिकों से करों का भूगतान  करें। वहीं राज्य को करों के संग्रहण में कम से कम अपव्यय करना चाहिए। 


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राज्य के ऐच्छिक कार्यः-


1. शिक्षा की व्यवस्थाः- शिक्षा के द्वारा ही व्यक्ति उचित और अनुचित, सही और गलत के भेद को जान पाता है। उसमें जागरूकता शिक्षा के द्वारा ही आती है।अतः प्रत्येक राज्य का यह दायित्व है कि जनता को शिक्षित करने के कार्य पर विशेष बल दे।


2. यातायात व संचार के साधनों का प्रबंधः- राज्य को नागरिकों के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक जीवन में यातायात व संचार के साधनों का महत्वपूर्ण स्थान होता है। राज्य द्वारा जनसुविधााओं और नागरिकों के सर्वोंगीण विकास के लिए यातायात व संचार सुविधांए का विस्ताार किया जाना चाहिए।


3. श्रमिकों हेतु व्यवस्थाः- राज्य के मजदूरों के लिए विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वन किया जाना भी राज्य का ऐच्छिक कार्य है, साथ ही व्यक्ति को उसकी मेहनत के अनुसार मजदुरी दी जानी चाहिए। 


4. बेरोजगारी का निवारणः-राज्य के नागरिकों को उनकी योग्यता व क्षमता के अनुसार कार्य उपलब्ध करना राज्य का ऐच्छिक कार्य है। जिससे सभी नागरिको को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार प्राप्त हो और उनका राज्य के प्रति विश्वास व सम्मान की भावना बढे।

5. स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करनाः- राज्य के नागरिकों को स्वस्थ व उर्जावान होना चाहिए। तभी वह स्वस्थ शरीर के साथ कार्य कर राज्य की प्रगति में अपना अमुल्य योगदान दे सके । इसके लिए आवश्यक है कि राज्य विभिनन बिमारियों व महामारियों के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य  सेवाएं उपलब्ध कराये साथ ही राज्य समय समय पर महामारियों की रोकथाम के लिए टिकाकरण अभियान चलाये।  


6. स्वच्छताः- मनुष्य हमेशा से स्वच्छ संुदर वातावरण में निवास करना पसंद करता है। स्वच्छ वातावरण में मनुष्य के मस्तिष्क में अच्छे विचार जन्म लेते हैं। जिसके द्वारा राज्य के प्रगति के मार्ग खुलतें हैं। स्वच्छता  से ही मनुष्य स्वस्थ हो पाता है। राज्य द्वारा गंदगी को हटाने के लिए स्वच्छता अभियान कराया जाना चाहिए साथ ही लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करना चाहिए।


7. सामाजिक कल्याणः- राज्य द्वारा अपने नागरिको के लिए समाज कल्याण आदि के कार्य किये जाते हैं। राज्य सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए कानून बना सकती है। राज्य द्वारा भिक्षावृत्ति, मद्यपान, जुआ,चोरी आदि के विरूद्ध अभियान चला सकती है। बच्चों के लिए अनाथालय, वृद्धों के वृद्धाश्रम आदि भी संचालित करता है। इसके अतिरिक्त राज्य सार्वजनिक स्थलों पर वृक्षारोपण कर सकती हैं।


8. मनोरंजन की व्यवस्थाः- राज्य के नागरिकों के मनोरंजन के लिए राज्य द्वारा समय समय पर मनोरंजन की गतिविधीयों को संचालित किया जाना चाहिए।


9. अन्य कार्यः- इसके अतिरिक्त राज्य द्वारा नागरिकों के लिए पेयजल की व्यवस्था, कई निर्माण कार्य जैसे प्रतिक्षालय धर्मशालांए, पुल निर्माण, बगीचों का निर्माण आदि नागरिकों की सुविधाओं के लिए कर सकती हैं।


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