नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर आज के आर्टीकल में हम आपको बताने वाले हैं सिंधु घाटी सभ्यता जिसे हड़प्पा सभ्यता आदि कई नामों से जाना जाता है के बारे में विस्तार से जानकारी। जिसमें हम सिंधु घाटी सभ्यता की सामान्य जानकारी, सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषतायें, सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण, सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य बिंदु आदि प्रमुख तथ्यों पर विस्तार से चर्चा करेंगें।
तो आइये दोस्तों आपका ज्यादा समय न लेते हुए चलते हैं सिधे आज के आर्टीकल की ओरः-
सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता (Hindus velly civilization)
( 2500 ई पु से - 1800 ई पु तक )
सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता, कांस्य युगीन सभ्यता, नगरीय सभ्यता, सैंधव सभ्यता आदि नामों से जाना जाता है। सिंधु नदी के किनारे इस सभ्यता का विकास होने के कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है।
तो दोस्तों आइये हम सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण व सामान्य जानकारी प्राप्त कर लेते हैंः-
1. सिंधु घाटी सभ्यता का परिचय।
1. नगरीय सभ्यताः- सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। जो कि आद्य ऐतिहासिक सभ्यता के नाम से भी जानी जाती है।
2. मुख्य निवासीः- द्रविड़ और भुमध्यसागरीय लोग सिंधु घाटी सभ्यता के मुख्य निवासी थे । जिनमें भुमध्यसागरीय सर्वाधिक थे।
3. नामांकन और खोजकर्ताः-
(1) रायबहादुर दयाराम साहनीः- 1921 में रावी के किनारे हड़प्पा की खोज कि जो आगे चलकर हड़प्पा सभ्यता कहलायी।
(2) राखलदास बनर्जीः- 1922 में सिंधु के किनारे स्थित मोहनजोदड़ो की खोज कि जो आगे चलकर सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जानी गयी।
(3) मेसोपोटामिया के अभिलेखः- सिंधु घाटी सभ्यता के लिए ’’ मैलुहा’’ शब्द का प्रयोग किया गया है। इससे सिंधु घाटी सभ्यता को प्रमाणिकता मिलती है।
4. विस्तारः- सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार निम्न स्थानों तक था।
पूर्व में- आलमगिरपुर (मेरठ, उत्तरप्रदेश, हिंडन नदी)
पश्चिम में- सुतकांगेडोर (बलुचिस्तान, दाश्क नदी)
उत्तर में- मांदा (जम्मु कश्मीर, चिनाब नदी)
दक्षिण में- दाइमाबाद (अहमदनगर, महाराष्ट्र, गोदावरी नदी)
साथ ही आपको बतादें की सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी।
5. एक नगरीय सभ्यताः- छः बड़े नगर
1. मोहनजोदड़ो (सबसे बड़ा नगर)
2. हड़प्पा
3. गणवारीवाला
4. धौलावीरा
5. राखीगढ़ी
6. कालीबंगा
7. लोथल
8. बनावली
9. चन्हुदडो
भाषा या लिपिः- सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है जो दाएं से बांए और लिखी जाती है किंतु यह अपठनीय है अर्थात जिसे आज दिन तक पढ़ा नहीं जा सका है।
7. मिस्त्र/ सुमेरिया/ मेसोपोटामिया के समकालिन सभ्यता
8. सिंधु घाटी सभ्यता का नाम जॉन मार्शल ने दिया इसे सिंधु सरस्वती सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।
2. सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थानः-
1. हड़प्पाः- हड़प्पा रावी नदी के किनारे स्थित था। जिसकी खोज दयाराम साहनी ने वर्ष 1921 में की। वर्तमान में हड़प्पा मोंटगोमरी जिले के अंतर्गत आता है जो कि पाकिस्तान में है।
2. मोहनजोदड़ोः- मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के किनारे स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थान था। जिसकी खोज वर्ष 1922 में राखलदास बनर्जी ने की थी। जो कि वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रात के लरकाना जिले में स्थित है। इसे मृतकों का टिला भी कहा जाता है।
3. चन्हुदड़ोः- सिंधु नदी किनारे स्थित चन्हुदडों की खोज वर्ष 1931 में गोपाल मजुमदार ने कि थी। जोा कि वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रात में स्थित है।
4. कालीबंगाः- घग्घर नदी के किनारे स्थित कालीबंगा की खोज बी बी लाल व थापर ने वर्ष 1953 में की थी । जो कि वर्तमान में हनुमानगढ़ जिला राजस्थान में स्थित है।
5. कोटदीजीः- सिंधु किनारे स्थित कोटदीजी की खोज फजल अहमद ने वर्ष 1953 में की थी। जो कि वर्तमान में सिंध प्रात के खैरपुर में स्थित है।
6. रंगपुरः- रंगपुर सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है। मादर नदी के किनारे स्थिता इस स्थल की खोज सन् 1995-54 में रंगनाथ राव ने की थी। वर्तमान में यह काठिया वाड़ गुजरात में स्थित है।
7. रोपड़ः- सतलज नदी के किनारे स्थित रोपड़ की खोज यज्ञदत्त शर्मा ने 1953-54 में की थी। जो कि वर्तमान में रोपड़ जिला पंजाब में स्थित है।
8. लोथल:- लोथल भोगवा नदी के किनारे स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसकी खोज वर्ष 1955 व 1960 में रंगनाथराव ने की थी। यह वर्तमान में अहमदाबाद गुजरात में स्थित है। यहां घर के दरवाजे सड़क की ओर ही खुलते है। ना कि गलिया मे।
9. आलमगीरपुर:- हिंडन नदी के किनारे यज्ञदत्त शर्मा ने वर्ष 1958 में इस स्थान की खोज की। यह वर्तमान में मेरठ उत्तरप्रदेश में स्थित है।
10. सुतकांगेडोरः- दाश्क नदी के किनारे स्थित इस स्थल की खोज ऑरेंज स्टाइल ने 1927 व 1962 में की थी। वर्तमान में यह मकराना जिला पाकिस्तान में स्थित है।
11. बनमालीः- रंगोई नदी के किनारे स्थित इस स्थल की खोज रविंद्र सिंह बिष्ट ने सन् 1974 में की थी। जो कि वर्तमान में हिसार जिला उत्तरप्रदेश में स्थित है।
12. धौलाविराः- रंगोई नदी के किनारे स्थित इस स्थल की खोज रविंद्र सिंह बिष्ट ने सन् 1990-91 में की थी। यह वर्तमान में कच्छ जिला गुजरात में स्थित है।
3. हड़प्पा/सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषतायें:-
हड़प्पा/सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषतायें:- प्रमुख विशेषतायें निम्न हैः-
3.1. नगर नियोजनः-
1. सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता के नगर ग्रिड पद्धति पर निर्मीत थे।
2. प्रत्येक नगर उच्च और निम्न रूप में वर्गीकृत
3. पश्चिमी टिला जिसे दुर्ग टिला भी कहा जाता था। उच्च वर्गों जिसमें प्रशासनिक एवं सार्वजनिक भवन व अन्नागार आदि होते थे जबकि निम्न वर्ग जिसमें श्रमिक, व्यापारी व सामान्य नागरिक, कारीगर का निवास पूर्वीं टिले में होता था ।
4. पश्चिमी टिला की किलाबंदी अर्थात पश्चिमी टिला रक्षा प्राचीर से घिरा हुआ होता था एक दुर्ग की बांदी चारो ओर रक्षा दिवारे हुआ करती थी ।
5. कालीबंगा व चन्हुदड़ो इसके अपवाद है क्योंकि दोनों स्थानों पर पुरे नगर अर्थात उच्च व निम्न वर्गों के पूर्वी तथा पश्चिमी टिलों की घेरा बंदी और किला बंदी की गई हैं।
6. घरों के दरवाजे व खिड़कियां प्रायः मुख्य सड़क की ओर न खुलकर गलियों की ओर खुलते थे, लोथल इसका अपवाद है जहां घरों के दरवाजे मुख्य सड़की की ओर खुलते थे।
7. सिंधु घाटी सभ्यता के मकान प्रायः द्विमंजीला हुआ करते थे।
8. सिंधु घाटी सभ्यता में स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता था, जिस हेतु सुव्यवस्थित जल निकासी व्यवस्था की गई थी, प्रत्येक घर से नालियां निकली हुई थी जो आगे जाकर मुख्य नाली में मिलती हैं, पुरी नाली को ढंका जाता था, और उन्हें समय समय पर साफ भी किया जाता था।
9. सिंधु घाटी सभ्यता में ईंटों का आकारः- 4:2 का होता था । पक्की ईंटों व अलंकृत इंंटों का प्रयोग किया जाता थां अलंकृत ईंटों का प्रयोग कालीबंगा में किया जाता था।
10. सिंधु घाटी सभ्यता में सर्वाधिक चोड़ी सड़क मोहनजोदड़ो से मिली है जिसकी कुल चौड़ाई 10 मीटर है।
11. प्रायः एक मकान में चार पांच कमरे होते थे साथ ही मकानों में आंगन, रसोईघर, स्नानागार, कुएं तथा कुछ बड़े घरो में शोचालय भी मिले हैं।
3.2 राजनीतिक जीवनः-
संभवतः अमीर वर्ग या वणीक वर्ग द्वारा शासन किया जाता होगा, क्योंकि अमीर वर्ग या वणीक वर्ग की प्रभुसत्ता सिंधु घाटी सभ्यता में दिखाई देती हैं।
3.3 सामाजिक जीवनः-
1. सिधु घाटी सभ्यता में समाज समतामुलक समाज था।
2. छुआछुत व जातिप्रथा के साक्ष्य नहीं ।
3. समाज 4 वर्गों में विभक्त थाः- 1. विद्वान 2. योद्धा 3. व्यापारी.4. श्रमिक इन चार वर्गों मे समाज विभक्त था, सिंधु घाटी सभ्यता में वर्ग निर्धारण जन्म नहीं अपितु कर्म को तथा योग्यता द्वारा निर्धारित किया जाता था।
4. बहुप्रजातीय समाज
5. मातृसत्तात्मक समाजः- सिंधु घाटी सभ्यता में समाज मातृसत्तात्मक था।
6. बालविवाह एवं पर्दाप्रथा के साक्ष्य सिंधु घाटी सभ्यता से नहीं मिले हैं। इससे यह तथ्य सिद्ध होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता में बाल विवाह एवं पर्दाप्रथा नहीं थी।
7. सिंधु घाटी सभ्यता का दृष्टिकोण उपयोगितावादी था जिस कारण से इसे उपयोगिता वादी समाज की उपाधी भी दी गई है।
8. सिंधु घाटी सभ्यता का समाज सुशिक्षित तथा शांतिप्रिय था। इस बात की पुष्टि इसी बात से भी होती है कि सिंधु घाटी सभ्यता से किसी धारदार हथियार, तलवार, या किसी भी प्रकार की युद्ध सामग्री के अवशेष प्राप्त नहीं हुए हैं अतः यहां सभी मिल जुलकर रहा करते थे। अगर लड़ाई होती भी थी तो उसे आपसी सुलह समझौते से निपटारा किया जाता होगा।
9. वैश्यावृति का प्रचलन
10. मोहनजोदड़ो से नृतकी की कांस्य मुर्ति मिली।
3.4 आर्थीक जीवन
(1) कृषि एवं पशुपालन
1. कृषि विकसित अवस्था में थी। मेहरगढ़ से कपास के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त होते हैं। साथ ही जुते हुए खेत कालीबंगा से प्राप्त होते हैं उस समय की प्रमुख फसल गैहुॅ और जौ थी। अन्य फसलों में चावल प्रमुख था। चावल के सर्वप्रथम साक्ष्य लोथल और रंगपुर से प्राप्त होते हैं। इस प्रकार कृषि विकसित व्यवस्था में होने तथा सभी का प्राथमीक व प्रमुख व्यवसाय कृषि होने से कृषि का अधिशेष उत्पादन होता होगा। जिसके भण्डारण हेतु भण्डारगृहों की व्यवस्था की गयी।
2. मोहनजोदड़ो का अन्नागार या वेयर हाउस सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
3. बैल, कुबड़ वाला बैल, भैंस को पाला जाता था। इस प्रकार अन्य दुसरे व्यवसाय में कृषि के बाद पशुपालन का स्थान आता था।
4. घोड़े के प्रमाण कालीबंगा, सुतकोटरा गुजरात तथा लोथल से प्राप्त।
(2) व्यापारिक विशेषताएंः-
सिंधु घाटी सभ्यता में अंतर्राज्यीय तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनेा प्रकार के व्यापार होते थे। व्यापार के लिए मुहरों का प्रयोग व वस्तु विनिमय प्रणाली दोनों का प्रचलन था। मापन की ईकाई 16 के अनुपात में थी।
(3) यातायात की विशेषताएंः-
बैलगाड़ी, भैसांगाड़ी व ठेलागाड़ी का उपयोग स्थल परिवहन में आवागमन हेतु तथा बाह्य व्यापार नावों द्वारा किया जाता था। लोथल से पक्की मिट्टी की नाव प्राप्त हुई है।
हड़प्पा व चन्हुदड़ों से कांसेगाड़ी के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण बंदरगाह लोथल था जो कि एक ज्वारिय बंदरगाह था।
3.5 जीवनशैली व उद्योगः-
1. सर्वाधिक महत्वपूर्ण वस्त्र उद्योग हुआ करता था। लोथल और चन्हुदड़ों से मनको का कारखाना भी मिला है।
2. सिंधु घाटी सभ्यता में ऊनी व सुती वस्त्रों का उपयोग पहनने के लिए किया जाता था। मोहनजोदड़ों से सुती वस्त्रों के साक्ष्य मिले हैं।
3. मनोरंजन के लिए पासा, शिकार, घुडदौड़, दौड़, रथदौड़ जैसे खेलों का प्रयोग किया जाता था।
4. सिंधु घाटी सभ्यता में डिजाइन वाले काले बर्तनों के साक्ष्य सर्वाधिक मिले हैं। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि संभवतः डिजाइन वाले काले बर्तनों का प्रयोग अधिक किया जाता हो।
5. मिठाईः- शहद
6. तलवार के साक्ष्य नहीं:- शांतिपूर्ण समाज
4. धार्मीक जीवनः-
1. इस सभ्यता की लिपि अपठनीय होने से धार्मीक जीवन की जानकारी का प्रायः अभाव है क्योंकि इस सभ्यता की जो लिपि या साहित्य मिला है वह अपठनीय है।
2. सिंधु घाटी सभ्यता मातृदेवी/उर्वरता देवी के साक्ष्य एवं मुर्तिया हड़प्पा सभ्यता से मिली है। सिंधु घाटी सभ्यता में मंदिरों का अभाव था।
3. मोहनजोदड़ों से दाढ़ी वाले साधु (पुरोहित) की प्रतिमा मिली।
4. मोहनजोदड़ों से योग करते पुरूष की मुहर मिली जिसकी चारो ओर वन्य पशु गैडें, सांड, भैंस आदि घुमते हुए दर्शाये गये हैं। इन्हें पशुपतिनाथ कहा गया है।
5. वृक्ष पुजा, शिवपुजा के साक्ष्य व जलपुजा तथा सूर्य उपासना आदि के साक्ष्य प्राप्त हुए।
6. कुबड़ वाला सांड मिला जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि लोग शिव उपासक थे।
7. इस सभ्यता की मुहरों पर स्वस्तिक अंकित।
8. कालीबंगा राजस्थान से अग्नि कंुड मिला।
9. मोहनजोदड़ो में शवों को जलाया जाता था। हड़प्पा में शवों को दफनाया जाता था। लोथल और कालीबंगा में युग्म समाधियों के साक्ष्य मिले हैं।
10 इस सभ्यता के भक्ति, प्रेतवाद तथा पुनर्जन्म के साक्ष्य प्राप्त होते हैं।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि सिंधु घाटी सभ्यता का धार्मीक जीवन बहुआयामी था।
4.1 शवादान प्रणाली:-
5. हड़प्पा /सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण:-
हड़प्पा /सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बारे में कोई प्रमाणिक साक्ष्य नहीं है किंतु विभिन्न विद्वानों के द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के अलग अलग मत दिये हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण निम्नलिखित हैः-
दो प्रकार से सिंधु घाटी सभ्यता का पतन हुआ होगा वे है- आकस्मिक पतन तथा क्रमिक पतन सिद्धांत
1. जलवायु परिवर्तनः- जलवायु परिवर्तन सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का प्रमुख कारण रहा होगा।
2. बाढ़ः- जलवायु परिवर्तन के कारण अतिवृष्टि हुई होगी जिससे बाढ़ आई होगी तथा इस सभ्यता का पतन हो गया।
3. सुखाः- जलवायु परिवर्तन के कारण अल्पवृष्टि हुई होगी जिससे सुखा पड़ गया होगा तथा इस सभ्यता का क्रमिक पतन हो गया ।
4. नदियों के मार्ग में परिवर्तन/बांधों का टुटनाः- जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ आई होगी तथा जिससे जल नदियों में समाया नही होगा जल ने बडे बडे बांधों को तोड़ दिया होगा तथा नदियों ने अपना मार्ग परिवर्तीत कर दिया होगा। जिससे जल जीवन डुब गया होगा तथा सभ्यता का पतन हो गया होगा।
5. कृषि का विनाशः- अल्पवृष्टि के कारण कृषि का विनाश अकाल तथा सभ्यता का क्रमिक पतन हो गया होगा।
6. इस सभ्यता के पतन का एक कारण आर्य आक्रमण व भूकंप व विवर्तनिक घटनायों को भी माना जाता है।
7. पारिस्थितिकीय असंतलुन व क्रमिक पतन को सिंधु घाटी सभ्यता के पतन/ विनाश का सर्वप्रमुख कारण तथा सर्वमान्य मत है।
6. सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में कुछ बिंदु :-
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां सिंधु घाटी सभ्यता के बारे मेंः-
1. पिग्गट ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वा राजधानी कहा है।
2. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हड़प्पा सभ्यता के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गये।
3. आग में पक्की ईंटों को टेरोकोटा कहा जाता था।
4. सबसे बड़ी साइटः- राखीगढ़ी हरियाणा और मोहनजोदड़ो।
सिंधु घाटी सभ्यता में विदेशी व्यापार व प्रमुख आयातित वस्तुयें
क्र. |
आयातित वस्तुये |
व्यापारिक प्रदेश/देश |
1. |
तांबा |
खेतड़ी, बलुचिस्तान, ओमान |
2. |
चांदी |
अफगानिस्तान, ईरान |
3. |
सोना |
कर्नाटक, अफगानिस्तान, ईरान |
4. |
टीन |
अफगानिस्तान, ईरान |
5. |
लाजवर्त |
मेसोपोटामिया |
6. |
सीसा |
ईरान |
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थान और वहां से प्राप्त अवशेष तथा साक्ष्य ः-
1. मोहनजोदड़ो:- 1. सबसे बड़ा स्नानागार 2. पशुपतिनाथ भगवान की मुहर 3. नर्तकी की कांस्य मुर्ति 4. शव को जलाने के साक्ष्य 5. दाढ़ी वाला पुजारी 6. पुरोहित आवास 7. अन्नागार 8. घर में कुॅआ 9. सबसे चौड़ी सड़क 2. हड़प्पा:- 1. एक श्रंगी पशु वाली मुहर 2. मातृदेवी की प्रतिमा 3. श्रमिक आवास 4. अन्नागार 5. लकड़ी का ताबुत 6. R-H 37 कब्रिस्तान 3. कालीबंगा (राजस्थान)ः- (काली मिट्टी की चुड़ी) 1. अग्निकंुड 2. चुड़ी & चुड़ी कारखाना 3. युग्म समाधि 4. जुता हुआ खेत 5. अलंकृत ईंट 4. सुतकोटरा (गुजरात)ः- 1. घोड़े के अवशेष 5. लोथल (गुजरात)ः- 1. बंदरगाह (सिंधु घाटी सभ्यता का मानचेस्टर) 2. धान और घोड़ के साक्ष्य 3. अग्निकुंड 4. युग्म समाधि 5. मनके बनाने का कारखाना 6. धोलाविरा (गुजरात)ः- 1. बांध और जलाश्य स्टेडियम के साक्ष्य। 7. चन्हुदड़ो:- (दुर्ग रहित &औद्योगिक शहर) 1. लिपिस्टिक 2. शीशा 3. मनके और गुड़िया 4. कुत्ते और बिल्ली के पैरों के निशान 7. रोपड़:- 1. मालिक के साथ कुत्ते को दफनाये जाने के प्रमाण ऐसी ही प्रमाण नवपाषाण काल में बुर्जहोम में मिले थे, जहां मालिक के साथ कुत्ते को दफनाया जाता था। |
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