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राजनीति विज्ञान का अर्थ, परिभाषा, राजनीति विज्ञान के अध्ययन के विषय, राजनीतिक विज्ञान के पक्ष एवं राजनीतिक विज्ञान के विपक्ष में तर्क तथा राजनीति विज्ञान के अध्ययन का महत्व।









राजनीति विज्ञान का अर्थ, परिभाषा, राजनीति विज्ञान के अध्ययन के विषय, राजनीतिक विज्ञान के पक्ष एवं राजनीतिक विज्ञान के विपक्ष में तर्क तथा राजनीति विज्ञान के अध्ययन का महत्व


“knowledge with ishwar”


राजनीति विज्ञान का अर्थ:-राजनीति विज्ञान शब्द अंग्रजी के (political science) पोलिटिकल साइंस शब्द का हिंदी रूपांतर है , इसकी उत्पत्ति यूनानी भाषा के पोलिस (polis) शब्द से हुई है । राजनीति विज्ञान सामाजिक विज्ञान की एक शाखा है। राजनीति विज्ञान वह विज्ञान है जिसमें मानव के राजनीतिक पक्ष का अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान में राज्य एवं मानव के संबंधों का अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान में किसी राज्य के भूत, वर्तमान और भविष्य का अध्ययन  किया जाता है पोलिटिक्स (politics) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सुप्रसिद्ध विद्वान एवं दार्शनिक ओर यूनानी चिन्तक अरस्तु द्वारा किया गया था। 



राजनीति विज्ञान की परिभाषाः- विश्व प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा दी गई राजनीति विज्ञान की प्रमुख परिभाषाएं इस प्रकार है


1. डॉ. आशीर्वादम के शब्दों में, ’’ राजनीति विज्ञान राज्य और शासन का विज्ञान है।’’


2. गार्नर के शब्दों में- ’’राजनीति विज्ञान का आरम्भ और अंत राज्य से होता है।’’


3. डीमॉक के शब्दों में- ’’राजनीतिशास्त्र का संबंध राज्य तथा उसके साधन सरकार से है।’’


4. लासवैल का मत है कि ’’ एक अनुभववादी व्यवस्था के रूप में राजनीतिशास्त्र शक्ति की रूप रचना एवं उपभोग का अध्ययन है।’’


5. डेविड इस्टन के शब्दों में- ’’राजनीति विज्ञान समाज एवं सत्ता के अध्ययन का विज्ञान हैं।’’


6. राबई डहल का मानना है कि - ’’राजनीति विश्लेषण का शक्ति, शासन अथवा सत्ता से संबंध है।’


7. गिलक्राइस्ट के शब्दों में- ’’राजनीति विज्ञान के अंतर्गत राज्य एवं सरकार का अध्ययन किया जाता है।’’


8. लीकॉक के शब्दों में- ’’राजनीतिशास्त्र सरकार का अध्ययन करता है।



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राजनीति विज्ञान के अध्ययन के विषय



1. मानव का अध्ययनः-  राजनीति विज्ञान के अध्ययन का केंद्र बिंदु मानव ही है। राजनीति विज्ञान में मानव से संबंधित समस्त राजनीतिक क्रियाकलापों का अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान में मानव के नैतिक मूल्यों, कर्तव्यों, अधिकारो का अध्ययन किया जाता है।


राजनीति विज्ञान में यह भी अध्ययन किया जाता है कि एक सुशिक्षित, सुव्यवस्थित, जागरूक नागरिक का निर्माण कैसे किया जा सकता है।



2. राज्य का अध्ययनः- राजनीति विज्ञान में राज्य का भी अध्ययन किया जाता है। इसके अंतर्गत राज्य की उत्पत्ति, विकास, उद्देश्य, अंग, विभाग, सिद्धांत, शक्तियां, व्यवस्थांए, योजनांए आदि का अध्ययन राजनीति विज्ञान में किया जाता है। 


इसके  अतिरिक्त राजनीति विज्ञान में राज्य के भूतकाल का अध्ययन किया जाता है। भूतकाल के गुण दोषों, सफलताओं व असफलताओं के आधार पर राजनीति विज्ञान में वर्तमान का अध्ययन किया जाता है। राजनीति विज्ञान में भूत और वर्तमान के आधार पर भविष्य की योजनाओं का निर्माण किया जाता है व भविष्य का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार राजनीति विज्ञान में राज्य के भूत वर्तमान और भविष्य का अध्ययन किया जाता है।



3. शासन का अध्ययनः- राज्य वास्तविकता में एक अमूर्त संस्था होती हैं। वास्तविक कार्यों और शक्तियों की समस्त बागडौर शासन कें हाथ में होती है। राजनीति विज्ञान में शासन का अध्ययन किया जाता है। इसमें शासन के स्वरूप उसके संगठन, अंगों, शासन व्यवस्था व शक्तियों का अध्ययन किया जाता है।

शासन के तीन अंगों कार्यपालिका न्यायपालिका व विधायिका का अध्ययन भी राजनीति विज्ञान में किया जाता है।



राजनीति विज्ञान विज्ञान है या कलाः- राजनीति विज्ञान  विज्ञान है या कला। इसके संबंध  में विभिन्न विद्वानों में मतभेद है। कई विद्वानों का मत है कि राजनीति विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में रखा जाए किंतु कई विद्वानों का यह भी मानना है कि राजनीति विज्ञान विज्ञान नहीं है कला है। 



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राजनीति विज्ञान विज्ञान नही है के संबंध मं तर्कः-



1. विभिन्न तथ्यों के संबंध में मत भिन्नताः- विज्ञान में विभिन्न तथ्यों पर राजनीतिज्ञों व चिंतकों के मध्य मतभेद है। राजनीति विज्ञान की सर्वमान्य परिभाषा  नहीं है। राजनीति विज्ञान में किन तथ्यों को सम्मिलीत किया जाना चाहिए इस ंिबंदु पर भी विद्वान एकमत नहीं है। किसी भी विज्ञान में मत एक होना आवश्यकय शर्त है एवं निश्चित परिभाषा होती है। जो दोनों राजनीति विज्ञान में नहीं है।



2. भविष्यवाणी करना असंभवः-  अन्य प्राकृतिक विद्वानों की भांति राजनीति विज्ञान में भविष्यवाणी करना संभव नहीं है। प्राकृतिक विज्ञान में मौसम संबंधी (वायु, वर्षा, प्राकृतिक घटनांए आदि) से जुडी सभी घटनाओं को पूर्व में ही पता कर ली जाती है या भविष्यवाणी कर ली जाती हैं एवं उनसे निपटने के उपायो की खोज कर ली जाती है। किंतु राजनीति विज्ञान भविष्यवाणी करनें में असमर्थ है।

बर्क महोदय ने तो यहां तक कहा है कि- ’’राजनीति में भविष्यवाणी करना मुर्खता के सिवाय कुछ नहीं हैैैं। 



3. परीक्षण व पर्यवेक्षण करना असंभवः- अन्य विज्ञानों में पदार्थ को प्रयोगशाला में रखकर उन पर विभिन्न प्रयोग व परिक्षण किये जा सकते हैं किंतु राजनीति विज्ञान के अध्ययन का विषय मानव है। मानव को किसी प्रयोगशाला में रखकर उस पर प्रयोग करना असंभव है। राजनीति विज्ञान में परीक्षण व पर्यवेक्षण न होने के कारण इसे विज्ञान की श्रेणी में नही माना जाता है।


 


4. सर्वमान्य नियमों व सिद्धांतों का अभावः- राजनीति विज्ञान में राज्य की उत्पति के सिद्धांत , स्वतत्रता समानता आदि विषयों पर मत एक नहीं हैं राजनीति विज्ञान में सर्वमान्य नियम व सिद्धांत न होने के कारण इसके विज्ञान होने पर संदेह उत्पन्न होता है।



5. क्रमबद्धता का अभावः- राजनीति विज्ञान को विज्ञान न माननें के पिदे एक तर्क यह भी है कि राजनीति विज्ञान का ज्ञान क्रमबद्ध नहीं है। इसके नियम सुव्यवस्थित व सुस्थापित नहीं हैं।



6. कार्यकारण में तालमेल का न होनाः- राजनीति विज्ञान में कार्यकारण में तालमेल का अभाव होता है। इसमें एक कारण के एक से अधिक परिणाम हो सकतें है। इस कारण भी राजनीति विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में नही रखा जा सकता है।



राजनीति विज्ञान को विज्ञान मानने के पक्ष में तर्कः-



1. भविष्यवाणी करना संभंवः- अन्य विज्ञानों की भांति राजनीति विज्ञान में भी भविष्यवाणी करना संभंव है। निर्वाचन के समय चुनाव के परिणामों की भविष्यवाणी मत की गणना के पुर्व ही  एग्जिट पोल व जनता के रूझान के द्वारा पता कर ली जाती है। अतः भविष्यवाणी का गुण होने के कारण इसे विज्ञान माना जाना चाहिए।



2. परीक्षण संभवः-  राजनीति विज्ञान में परीक्षण करना संभव है। राजनीति विज्ञान में भी कई प्रयोग होते रहतें है। सरकार द्वारा चलायी जाने वाली सभी योजनांए एक प्रयोग ही तो हैं जिनके एक राज्य में सफल हो जाने पर अन्य राज्य भी उन योजनाओं को चलाते व क्रियान्वन करतंे है।



3. पर्यवेक्षण करना संभवः- राजनीति विज्ञान में भी अन्य विज्ञानों की भांति पर्यवेक्षण करने का गुण होता है। राजनीतिक दल मतदाताओं के व्यवहार का पर्यवेक्षण करतें हैं एवं उसी आधार पर चुनाव संबंधी अपनी रणनीति का निर्धारण करतंे हैं।



4. सर्वमान्य सिद्धांतः-   राजनीति विज्ञान के संबंध में यह मानना गलत है कि इसमें सर्वमान्य सिद्धातों का अभाव है। सत्ता भ्रष्ट करती है, लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना आदि ऐसे सिद्धांत है जो सर्वमान्य है। 



5. विज्ञान की परिभाषाः- विज्ञान का अर्थ होता  है किसी भी विषय का व्यवस्थित ज्ञान प्राप्त करना। राजनीति विज्ञान भी सुव्यवस्थित क्रमबद्ध तथा सुस्पष्ट ज्ञान प्रदान कर लोंगांे की जिज्ञासाओं का निराकरण करता है। 


6. कार्य कारण में तालमेलः- राजनीति विज्ञान में कार्यकारण में उचित तालमेल होता है। जैसे राजनीत विज्ञान द्वारा यह सिद्ध कर दिया गया है कि रूस व अमेरिका दोनों देशों की संपन्ना का कारण अन्य न होकर एकमात्र ओद्योगिकरण है।

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राजनीति विज्ञान के अध्ययन का महत्व या लाभ क्या है?


1. नागरिकों के अधिकारों एवं कर्तव्यों का ज्ञानः- राजनीति विज्ञान के अध्ययन के द्वारा ही नागरिकों  को उनकें अधिकारों एव कर्तव्यों का ज्ञान कराया जा सकता है। राजनीति विज्ञान नागरिकों को अधिकारों व कर्तव्यों का ज्ञान कराकर उन्हें अपने हितों के प्रति सचेत करता है।



2. मानवीय विचारधारा को उधार बनानाः- राजनीति विज्ञान हमें निचलें स्तर से उठाकर राष्ट्रीय तथा अंर्तराष्ट्रीय समस्याओं को उजागर कर उन पर विचार करनें की क्षमता प्रदान करता हैं। राजनीति विज्ञान हमें अपनें देश और अन्य देशों का ज्ञान प्रदान कर हमारी विचारधारा को उन्नत व उदार बनाता हैं। 



3. राष्ट्रीय व संवैधानिक अतित के अध्ययन में सहायकः- राजनीति विज्ञान कें माध्यम से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संवेधानिक इतिहास का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। राजनीति विज्ञान के अध्ययन के द्वारा देश के विद्यार्थी व अन्य राजनीतिक चिंतक  राष्ट्र के गौरवशाली अतीत एवं उससे प्राप्त होने वाली सफलताओं व असफलताओं का ज्ञान प्राप्त कर सकता है एवं राजनीतिक चिंतक अतीत को ध्यान में रखकर अन्य कार्यों व कानूनों को कार्यरूप में परिणीत करतें हैं।



 4. कुशल शासन की कला का ज्ञानः- राजनीति विज्ञान की सहायता से कुशल प्रशासन की कला, नीति, नियम का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हैं। इसकी सहायता से सरकारी कर्मचारियों के वेतन प्रशिक्षण एवं चयन आदि बातों के उत्तर राजनीति विज्ञान के ज्ञान द्वारा प्राप्त किये जा सकतें हैं।



5. अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का ज्ञान तथा निराकरणः- राजनीति विज्ञान के द्वारा राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय समस्याओं का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। राजनीति विज्ञान के द्वारा पूंजीवाद, समाजवाद निःशस्त्रीरण, द्विध्रुवीकरण विश्वशांति, दो देशों के परस्पर विवादों आदि बातों का गहन अध्ययन कर संबंधित समस्याओं का निराकरण किया जा सकता 


6. राज्य एवं सरकार के बारे में ज्ञान प्राप्त करनाः- राजनीति विज्ञान के अध्ययन के द्वारा ही राज्य के उद्देश्यों, संगठन, नीतियों, कार्ययोजनाओं, कानूनों नियमों व सिद्धातों  का ज्ञान प्राप्त  किया जा सकता हैं। राज्य एवं सरकार के बारें में ज्ञान प्राप्त कर हम राज्य का उचित दिशा में मार्गदर्शन कर सकतें हैैं।



7. राजनीतिक जागरूकता में सहायकः-  जिस राष्ट्र के नागरिकों में राजनीतिक चेतना का ज्ञान नहीं होता हैं वह राज्य एवं शासन प्रणाली मे अपना सहयोग नही ंदे पाते है, एवं राजनीतिक ज्ञान न होने के कारण देश में भ्रष्टाचार, घुसखोरी आदि समस्याएं जन्म लेती हैं। राजनीतिक ज्ञान होने पर देश का युवा सरकार के हर कार्य में बढ़ चढकर हिस्सा लेता हैं सरकार की नितीयों का समर्थन करता हैं एवं सत्ता के भ्रष्ट या पक्षपाती होने पर उसकी आलोचना करता हैं एवं उसे सुधारने के लिए प्रेरित भी करता हैं। अतः सुशीक्षित एवं जागरूक नागरिकों का विकास राजनीति विज्ञान  कें अध्ययन द्वारा हीई संभव हैं। 



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